शहर बेदर्द : भुलाया "सरकार अम्मा" को, सुल्तान जहां बेगम के लिए शहर से नहीं निकले दो शब्द
भोपाल। भोपाल रियासत की महिला शासक नवाब सुलतान जहां बेगम (सरकार अम्मा) की यौम ए पैदाईश खामोशी से गुजर गई। शनिवार को इक्का दुक्का लोगों ने उनकी कब्र पर पहुंचकर खिराज ए अकीदत की रस्म निभाई। कव्वाली, मुशायरे और बड़ी तकरीरों को करने में आगे रहने वाली कमोबेश सभी छोटी बड़ी सामाजिक और साहित्यिक संस्थाएं इस दिन से बेखबर ही दिखाई दीं।
बज्म ए सहर नामक संस्था ने शनिवार को भोपाल रियासत की महिला शासक नवाब सुलतान जहां बेगम की सालगिरह पर खिराज ए अकीदत पेश की। साहित्यकार जिया फारूखी, सिराज मोहम्मद खान, अज़ीम असर, हाजी सुमेर आदि ने नवाब बेगम की सोफिया मस्जिद स्थित कब्र पर पहुंचकर खिराज ए अकीदत पेश की। उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि यह बड़ी विकट स्थिति है कि अपनी विरासत की महिलाओं की तालीम, हुनर, समाज में बराबरी का दर्जा और उनके सामाजिक उत्थान के लिए फिक्रमंद रहने वाली एक शासक को इस शहर ने भुला दिया है।
महिला शिक्षा के लिए रहीं फिक्रमंद
नवाब सुलतान जहां बेगम ने 19वीं सदी की शुरुआत में ही महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया और नई तकनीक के साथ-साथ सामाजिक जीवन में सौहार्द लाने के लिए कई तरह के समाज सुधार किए। उन्होंने भोपाल रियासत पर राज करते हुए ना सिर्फ महिला शिक्षा को बढ़ावा दिया, बल्कि महिलाओं में हुनर आए, इस पर भी जोर दिया। खास बात यह है कि सिर्फ फारसी भाषा की जानकार होने के बावजूद उन्होंने करीब 26 किताबें लिखीं। जिसमें उन्होंने पारिवारिक रिश्तों के अलावा आपसी संबंधों पर काफी कुछ लिखा। यहां तक कि उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना में सर सैयद अहमद खान की विशेष मदद की और उसका नतीजा ये हुआ कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना पर उन्हें संस्थापक कुलाधिपति बनाया गया और आजीवन वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की कुलाधिपति रहीं।
गोरतलब है कि बेगम नवाब सुल्तान जहां बेगम का जन्म 9 जुलाई 1858 में हुआ था। उन्होंने 16 जून 1901 से लेकर 20 अप्रैल 1926 तक भोपाल रियासत पर राज किया। एक मुस्लिम शासिका होने के बावजूद भी उन्होंने अपनी प्रजा में भेदभाव नहीं किया। वह मजहब के आधार पर भेद नहीं करती थी। हर जगह सबकी मदद करती थी. चाहे वह मुस्लिम हो या गैर मुस्लिम। उन्होंने भोपाल में सुलेमानिया, उबेदिया और मॉडल स्कूल बनवाया। भोपाल में पुलिस सिस्टम की शुरूआत शुरुआत उन्हीं के कार्यकाल में हुई। इसके अलावा डाक व्यवस्था के साथ-साथ बिजली व्यवस्था की शुरुआत भी उन्हीं के कार्यकाल में हुई।
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