इंदौर के जालसभा गृह में गूँज उठे शंहशाह-ए-मौसिक़ी रफ़ी साहब के तराने


  • संस्था परिवर्तन का रफ़ी के आयाम संगीत कार्यक्रम 

इंदौर (ब्यूरो) । फनकार आते हैं और चले जाते हैं। लेकिन स्वर्गीय मोहम्मद रफी अपनी आवाज से आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है। हर उम्र के लोग उनकी आवाज और गानों के मुरीद हैं। बीती शाम जालसभा गृह का मंज़र यही बयां कर रहा था कि रफी की गायिकी लोगों के दिलों पर हुकूमत करती है। शहर मे कई मंचों से गायक मोहम्मद रफ़ी के गीतों पर संगीत के कार्यक्रम होते रहे है। लेकिन संस्था परिवर्तन के बैनर तले सजी महफ़िल में उम्दा गायिकी सुनने को मिली और वैसे ही क़द्रदान भी जो दिल से सुन रहे थे। 


मंच से रफी के द्वारा गाए गए उन नायाब गीतों को सुनाया गया जिन गीतों ने न सिर्फ रफ़ी साहब बल्कि कई कलाकारों की आवाज़ बनके उन्हें शीर्षस्थ कलाकारों की श्रेणी में ला खड़ा किया। कार्यक्रम 'रफ़ी के आयाम' में उनकी गायकी के अहसासों को प्रमुख स्वर मिले । संस्था के ही अनुभवी गायक मनीष काबरा और संदीप कनोजिया ने रफी के अहसास के साथ बेहतरीन नग़मे सुनाए।। नोहब्बत के रूहानी इजहार के गीत "बाहोशो हवास में दीवाना" से संदीप कनोजिया ने महफ़िल की शुरुआत से ही समां बांध दिया। इसके बाद मनीष काबरा ने "तुमने किसी की जान को जाते हुए देखा है'" सुनाकर बता दिया कि रफी को किस अंदाज़ से गया जाता है। 


मनीष काबरा की गुलुकारी से ही श्रोताओं को ये साफ हो गया था कि रफ़ी के गीतों की एक शानदार दावत आज परोसी जाने वाली है और हुआ भी यही। मानवीय ह्रदय को छूने वाले सभी भावो को गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया जिनमें 'हम तो चले परदेस, सुबहा न आई शाम न आई, जब मोहब्बत जवान होती है,दोनो ने किया था प्यार मगर, तेरे नाम का दीवाना, हमदम मेरे मान भी जाओ,छलके तेरी आंखों से,तुझे जीवन की डोर से बांध,जिसके लिए सबको छोड़ा, के जान चली जाए, कोयल बोली,ये पर्दा हटा दो,छुप गए सारे नज़ारे जैसे कानों को सुकून पहुंचाने वाले नग़मे बहुत पसंद किए गए। बारिश के मौसम में भी देर रात तक श्रोताओं ने उम्दा गायिकी का लुत्फ लिया। संस्था के संरक्षक प्रकाश जैन, प्रसन्ना चांडक ने बताया कि शहर में बड़े सांस्कृतिक संगीतिय आयोजन करने और संगीत के माध्यम से सेवा करने के उद्देश्य से संस्था परिवर्तन का गठन किया गया है। संस्था द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में युगल गीतों में प्रमुख सहस्वर अनुभा खंडिलकर ,दीप्ति पाठक और सुहानी दासुंदी के थे।



मुख्य अतिथि के रूप मे आमंत्रित थे प्रेस क्लब अध्य्क्ष अरविंद तिवारी, उद्योगपति संदीप जैन, समाजसेवी हेमंत गट्टानी और शिक्षाविद अवधेश दवे आपने संरक्षक मनोहर करमबेलकर, शिवनारायण भूतड़ा, सुरेश पिंगले, मुकेश जैन, मनीष गुप्ता एवं स्व सम्पत सिंह श्रीमाल फाउंडेशन के विक्रम श्रीमाल के साथ दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कार्यक्रम का संयोजन विजय ओसवाल और संजय जैन ने किया । सह संयोजन पवन लड्ढा, डॉ अखिलेश सर्राफ का था। इस संगीतिय आयोजन की सबसे विशेष बात रफ़ी के आयामो पर आधारित गीतों का चयन और अभिजीत गौड़ का कुशल संगीत संयोजन भी था। कार्यक्रम का कुशल सूत्र संचालन संजय आनंद द्वारा रोचक तरीके से किया गया। कार्यक्रम स्थल एवं अतिथि सत्कार के संचालन में श्रीमती माधुरी गुप्ता का विशेष सहयोग रहा।

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