मुस्लिम संस्थाओं में नियुक्ति से पहले कराया जाए चरित्र सत्यापन, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को ज्ञापन


भोपाल।
किसी भी चौकीदार या चपरासी की नियुक्ति भी होती है तो उससे पहले उसका चरित्र प्रमाण पत्र तलब किया जाता है। लेकिन मुस्लिम संस्थाओं के जरिए पूरे प्रदेश की जिम्मेदारी सौंपते हुए इसकी जरूरत महसूस नहीं की जाती। नतीजा यह है कि बाद में मामले अदालतों की दहलीज चढ़ते हैं और इन संस्थाओं से होने वाले काम मुश्किल में पड़ जाते हैं। बेहतर हो कि इन संस्थाओं में नियुक्ति के पूर्व ही पदाधिकारियों के चरित्र सत्यापन करवा लिए जाएं तो बाद की परेशानी से बचा जा सकता है।

भोपाल जिला वक्फ कमेटी के पूर्व अध्यक्ष अलीम कुरैशी ने अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव को लिखी चिट्ठी में ये मांग की है। उन्होंने कहा कि मप्र वक्फ बोर्ड में की गई नियुक्तियों में ऐसे हालात बन चुके हैं। जिसके चलते करीब चार माह की प्रक्रिया के बाद भी बोर्ड आकार नहीं ले पाया है। ऐसे में अब विभाग ने करीब 12 सदस्यों की हज कमेटी गठित कर दी है। अलीम कुरैशी ने कहा कि बेहतर हो इन सदस्यों की पदभार ग्रहण करने और कमेटी को ओहदेदार तय होने से पहले इन सभी के चरित्र सत्यापन करवा लिए जाएं। ताकि बाद में आने वाली आपत्तियों से बचा जा सके। कुरेशी ने कहा कि इस बारे में चर्चाएं तेज हैं कि कमेटी में शामिल कुछ लोग अदालती मामलों के घेरे में हैं। जबकि कुछ ऐसे कारोबार से जुड़े हैं, जिनका किरदार हज कमेटी जैसे अकीदत के इदारे से मैच नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की नियुक्ति से जहां समाज में गलत संदेश जाएगा, वहीं लोगों की अकीदत भी प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि इन सदस्यों में कुछ ऐसे भी लोग शामिल हैं, जिन्होंने नियुक्ति के लिए बड़ी राशि की भेंट चढ़ाई है। इनकी भी जांच की जाना चाहिए। कुरैशी ने कहा कि इस मामले में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग गंभीर कार्यवाही नहीं करता है तो वे अदालत की शरण लेंगे।

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