BHOPAL : मैनिट में पीएचडी स्कॉलर्स आमरण अनशन पर बैठे
- लोकतांत्रिक देश में सबको अपनी बात रखने का अधिकार : राजकुमार मालवीय
भोपाल। 11 सूत्रीय मांगों को लेकर मैनिट के रिसर्च स्कॉलर्स आमरण अनशन पर बैठ गए हैं। मैनिट के रिसर्च स्कॉलर्स ने शोधार्थी उद्घोष महा आंदोलन की शुरुआत की है। दो दिनों से लगातार कड़ाके की ठंड में रात और दिन में रिसर्च स्कॉलर्स अनुशासनात्मक शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं। सुनवाई ना होते देख रिसर्च स्कॉलर्स के समर्थन में भाजपा झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ प्रदेश कार्यालय प्रभारी राजकुमार मालवीय सहित रिसर्च स्कॉलर्स अंकित राजपूत, तन्मय शुक्ला, अमन तिवारी, संजीव कुमार भूकेश, उमाशंकर सिंह आमरण अनशन पर बैठ गए हैं।
यहां देखिए वीडियो -
देश के प्रधानमंत्री और भारत सरकार रिसर्च और नवाचार के क्षेत्र में लगातार नित नए आयाम गढ़ने की ओर अग्रसर है। वही देशभर में रिसर्च स्कॉलर्स पर शोषण व अत्याचार लगातार बढ़ते जा रहे हैं। ऐसा ही हाल राजधानी भोपाल के मैनिट का है। देश में मैनिट ही एकमात्र ऐसा अनोखा संस्थान है जहां 3 साल बाद फेलोशिप रोक दी जाती है और कोविड-19 महामारी के तुरंत बाद ही कड़े और सख्त नियम रिसर्च स्कॉलर्स पर थोप दिए जाते हैं। जबकि संपूर्ण विश्व में कोविड-19 महामारी के तुरंत बाद कई रियायतें शैक्षणिक क्षेत्र में प्राविधित की जाना चाहिए थी। यह कहना है मैनिट रिसर्च स्कॉलर और भारतीय जनता पार्टी झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ मध्य प्रदेश के कार्यालय प्रभारी राजकुमार मालवीय का।
अनशन पर बैठे रिसर्च स्कॉलर अमन तिवारी ने बताया कि गुणवत्तापूर्ण रिसर्च के लिए रिसर्च पेपर प्रकाशित करने से पहले वास्तविक रिसर्च करना पड़ता है तभी रिसर्च पेपर पब्लिश हो सकते हैं।
संजीव कुमार भूकेश ने कहा कि कोविड-19 के कारण पूरे विश्व में रियायतें दी गई है, लेकिन मैनिट ने और कड़े नियम बना दिये। अंकित राजपूत ने बताया कि कई स्कॉलर्स की फेलोशिप और एचआरए की राशि मैनिट प्रशासन द्वारा रोक ली गई है। कभी भी मध्य सत्र में ही कोई भी नियम मैनिट प्रबंधन लागू कर देता है। रिसर्च स्कॉलर्स को आर्थिक रूप से प्रताड़ित कर उनके कैरियर को बर्बाद करने की धमकी दी जा रही है। जिम्मेदार प्रशासन रिसर्च स्कॉलर्स के हित में शीघ्र निर्णय ले, नहीं तो आमरण अनशन पर बैठे रिसर्च स्कॉलर्स को कुछ भी होता है तो पूरी जिम्मेदारी मैनिट प्रशासन की होगी।
इस आंदोलन की मुख्य वजह कोविड-19 महामारी के तुरंत बाद मैनिट प्रशासन द्वारा पीएचडी स्कॉलर्स को एससीआई/ एससीआईई रिसर्च जर्नल में क्यू 1, क्यू 2 क्लास के रिसर्च पेपर्स प्रकाशित करने पर ही 3 साल बाद फेलोशिप दी जाएगी वरना फैलोशिप रोक ली जाएगी है, जबकि भारत सरकार द्वारा पीएचडी स्कॉलर्स को पूरे पांच साल तक फेलोशिप दी जाती है। यह अनोखा नियम पूरे देश में केवल मैनिट में ही है। स्कॉलर्स यह भी मांग कर रहे हैं कि एमटेक एवं पीएचडी रिसर्च स्कॉलर्स की फेलोशिप में 62% वृद्धि की जाए। एक रिसर्च स्कॉलर इलेक्ट्रिकल विभाग से तन्मय शुक्ला लगातार दो हफ्तों से आमरण अनशन कर रहा है उसकी मांग है कि सुपरवाइजर बदल दिया जाए क्योंकि सुपरवाइजर ने उसके रिसर्च पेपर्स को अपने नाम और अपने दोस्तों के नाम से छपवाने का प्रयास किया जिससे उसका बौद्धिक शोषण हुआ है। कई रिसर्च स्कॉलर्स की फैलोशिप और एचआरए रोक लिया गया है रिसर्च स्कॉलर्स इसके एरियर की भी मांग कर रहे हैं।
मैनिट में कई सुपरवाइजर्स का हाल यह है कि उनके खुद के नाम से फर्स्ट ऑथर के एससीआई/एससीआईई रिसर्च पेपर्स है ही नहीं और पीएचडी कैंडिडेट लेने के लिए सुपरवाइजर्स के स्कोपस रिसर्च जर्नल में पेपर पब्लिश होने चाहिए। पीएचडी ऑर्डिनेंस के हिसाब से कई सुपरवाइजर्स पीएचडी कैंडिडेट लेने के लिए पात्र है ही नहीं। वहीं एक ओर रिसर्च स्कॉलर्स से एससीआई/एससीआईई क्यू 1 क्यू 2 क्लास के रिसर्च पेपर प्रकाशित करने की बाध्यता मैनिट प्रशासन द्वारा की गई है। कोविड-19 के संकट से उबरने के बाद कई स्कॉलर्स के 5 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं जिन्हें पीएचडी की डिग्री अवार्ड कर दी जानी चाहिए ऐसी भी मांग रिसर्च स्कॉलर्स कर रहे हैं। भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित संस्थानों में एससी/एसटी/दिव्यांग रिसर्च स्कॉलर्स से ट्यूशन फीस नहीं ली जाती है, जबकि मैनिट प्रबंधन इन पीएचडी स्कॉलर्स से ट्यूशन फीस ले रहा है। मैनिट एक रिसर्च संस्थान है जहां 24 घंटे रिसर्च स्कॉलर्स रिसर्च का कार्य करते हैं, ऐसे में बायोमैट्रिक अटेंडेंस लागू करना उन पर मानसिक दबाव बना रहा है। मैनिट प्रशासन की तानाशाही इतनी है कि मनचाहा नियम मध्य सत्र में रिसर्च स्कॉलर्स पर थोक दिया जाता है। रिसर्च स्कॉलर्स से घरेलू और व्यक्तिगत कार्य कराए जाते हैं।
लोकतांत्रिक देश में अपनी आवाज उठाने का प्रत्येक नागरिक को अधिकार है, आंदोलन में शामिल होने पर रिसर्च स्कॉलर्स को डराया धमकाया जा रहा है। हद तो यहां तक हो गई रिसर्च स्कॉलर्स के पास दूसरे राज्यों से जान से मारने की धमकी तक आ रही है ऐसी परिस्थिति में रिसर्च स्कॉलर्स ने मांग की है कि हमारी और हमारे लीडर की जान को खतरा देखते हुए उन्हें उचित सुरक्षा व्यवस्था प्रदान की जाए। कुछ पीएचडी स्कॉलर्स की फेलोशिप रोकने के लिए उन्हें एसआरपीसी कमेटी द्वारा असंतोषजनक लिख दिया गया है। पीएचडी स्कॉलर्स का कहना है कि जब तक लिखित में हमारी मांगे पूर्णत: मान नहीं ली जाती, आमरण अनशन जारी रहेगा।
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