खिदमत का जज्बा : बुजुर्गों की भावनात्मक और बौद्धिक जरूरतों को पूरा करने के लिए आगे आए वफादार स्वयंसेवक


  • पिछले 13 वर्षों से वरिष्ठ नागरिकों को नि:शुल्क सहायता उपलब्ध करा रहा है माया केयर फाउंडेशन 

✍️सप्तग्रह के लिए विजय पाटिल की स्पेशल रिपोर्ट 


पुणे (महाराष्ट्र)।
माया केयर फाउंडेशन पिछले 13 वर्षों से सभी जरूरतमंद बुजुर्गों को उनकी भावनात्मक और बौद्धिक जरूरतों को पूरा करने के लिए मुफ्त सेवाएं प्रदान कर रहा है। ताकि वे एक सुखी और आत्मनिर्भर जीवन जी सकें।


इनमें वरिष्ठों को अस्पताल ले जाना, बैंक के काम में मदद करना, सरकारी काम में मदद करना, दुकान से दवाइयाँ लाना, उनके साथ बगीचे में टहलना, वीडियो कॉल करने में उनकी मदद करना, उनके लिए पढ़ना और लिखना, उनके साथ मनोरंजक खेल खेलना, उनके साथ फुरसत का समय निकल कर उनके साथ बातचीत करना और उनके लिए विभिन्न कार्यक्रम का आयोजन करना। ऐसी कई तरह कि सुविधा वफादार स्वयंसेवकों की मदद से मुफ्त में की जाती है।


इसके लिए संस्था के स्वयंसेवक को आने जाने का खर्चा दिया जाता है। ताकि वो अपना सामाजिक कार्य अच्छी तरह से शुरू रखें।


वर्तमान में यह संगठन भारत के 50 शहरों और यूके के 5 शहरों में काम करता है। महाराष्ट्र में कोल्हापुर, सांगली, सातारा, सोलापुर, नासिक, नागपुर, औरंगाबाद, अहमदनगर, नंदुरबार, अमरावती, जलगाँव, परभणी, चंद्रपुर, यवतमाल, अकोला, बुलढाणा, वर्धा, जालना, पुणे और मुंबई।

यहां 👇 देखिए वीडियो - 


इस संस्था में 100 से अधिक विकलांग लोग (बिंदु समूह के) अपने घर में बैठकर संस्था का कार्य कर रहे हैं। इस कारण उन्हें रोजगार उपलब्ध हो रहा है और वे भी आत्मनिर्भर हो रहे हैं। इस संस्था के माध्यम से अब तक 1600 वरिष्ठजनों का 14000 से अधिक बार दौरा किया जा चुका है।


अगर आपको भी इस तरह की मदद की जरूरत है, तो 9552510400/9552510411 हेल्पलाइन नंबर पर संपर्क करें,या www.mayacare.org पर जाएं।


इसका उद्देश्य बुजुर्गों को अपने घर और वृद्धाश्रम में स्वतंत्र, सुखी और आरामदायक जीवन जीने में सक्षम बनाना है, और विकलांग व्यक्तियों को अपने घर से काम करके स्वरोजगार पेशेवर बनने में सक्षम बनाना है। इस दिशा कि और से संस्था का कामकाज चल रहा है।

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