बेबाकी के लिए थे मशहूर मौलाना राबे हसनी नदवी, 93 साल की उम्र में दुनिया-ए-फानी को कहा अलविदा
- निमोनिया की बीमारी से थे पीड़ित, अस्पताल में कराया गया था भर्ती
✍️ सप्तग्रह रिपोर्टर
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी का आज निधन हो गया है। मौलाना हसनी को अपनी बेबाकी के लिए जाना जाता था। वे अपने बयानों को लेकर आए दिन चर्चा में भी रहते थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें निमोनिया की बीमारी थी और सांस लेने में दिक्कत के चलते रायबरेली से लखनऊ शिफ्ट किया गया था। उन्होंने अपनी आखिरी सांस डॉलीगंज स्थित नदवा मदरसे में ली।
बता दें कि मौलाना हसनी नदवी को उनकी मुखरता के लिए जाना जाता था। मजहबी मामलों में वे समाज के लोगों को अक्सर नसीहत देते रहे। अपनी एक बैठक के दौरान उन्होंने इस्लाम धर्म को लेकर दुख जताया कि मुसलमानों ने इस्लाम धर्म को नमाज तक ही सीमित कर दिया और सामाजिक मामलों की उपेक्षा की जा रही है जो कि गलत है।
6 बार रहे पर्सनल लॉ बोर्ड अध्यक्ष
अक्टूबर 1929 को यूपी के रायबरेली में जन्मे मौलाना मोहम्मद राबे हसनी नदवी इस्लाम धर्म के एक बड़े विद्वान थे। उनका घराना एक इल्मी घराना तसुव्वर किया जाता है। उनके मामू- मौलाना अली मियां नदवी- दुनिया के एक बहुत बड़े इस्लाम के स्कॉलर थे। सऊदी अरब ने उन्हें सबसे बड़े इस्लामी अवॉर्ड से नवाजा था। वे लखनऊ स्थित धार्मिक शिक्षा के एक महत्वपूर्ण केंद्र- दारुल उलूम नदवतुल उलमा के प्रमुख चांसलर और अलामी रबीता अदब-ए-इस्लामी, रियाद (KSAA) के कुलपति भी थे। उन्होंने रायबरेली में अपने परिवार मकतब से प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और उच्च अध्ययन के लिए दारुल उलूम नदवतुल उलमा में शामिल हुए थे। उनके कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह 6 बार मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष रहे हैं।
नमाज तक न सीमित हो मुसलमान
अपनी इस्लामिक नसीहतों में मौलाना राबे हसन नदवी कहते थे कि इस्लाम धर्म जीवन के सभी क्षेत्रों में हमारा मार्गदर्शन करता है। इसलिए मुसलमानों को हर क्षेत्र में हलाल और हराम का ध्यान रखना चाहिए। इस्लाम को सिर्फ नमाज तक सीमित नहीं रखना चाहिए। इसके साथ ही उनका मानना यह भी था कि इस्लामी शरीयत को बदनाम किया जा रहा है।
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