'रूस - चीन जो न कर पाए, वह भारत ने कर दिखाया। इकतालीस दिन में चंद्र क्रांति कर ,चांद पर तिरंगा फहराया।।'
- चंद्रयान की सफलता पर कवियों ने कविता के माध्यम से दी बधाई
- स्व.दुर्गाजी पाठक की पुण्यतिथि पर पावस काव्य निशा का आयोजन
✍️ सप्तग्रह रिपोर्टर
मनावर, धार। साहित्यकार स्व.दुर्गा मोहनलाल पाठक की सप्तम पुण्यतिथि,चंद्रयान सफलता और तुलसी जयंती के अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद मनावर के साहित्यकारों ने शब्द सुमन अर्पित किए । कार्यक्रम की शुरूआत सरस्वती पूजन से की गई । साहित्यकार विश्वदीप मिश्रा, स्वप्निल शर्मा, संजय वर्मा दृष्टि ने मां सरस्वती और श्रीमती पाठक के चित्रों पर माल्यार्पण किया ।खाटू श्याम मंदिर के पुजारी पंडित कपिल शास्त्री ने मां पर भाव पुष्प अर्पित किए।
साहित्यकार स्वप्निल शर्मा ने मां की महिमा पर काव्य पाठ करते हुए मां के हाथ शीर्षक पर कविता सुनाई । साहित्यकार संजय वर्मा दृष्टि ने चंद्रयान की सफलता पर मेरा भारत महान विषय पर काव्यपाठ किया । व्यंग्य कवि विश्वदीप मिश्रा ने चंद्रयान की सफलता पर वैज्ञानिकों को बधाई देते हुए कहा कि रूस चीन न जो कर पाए, वह भारत ने कर दिखाया। इकतालीस दिन में चंद्र क्रांति कर, चांद पर तिरंगा फहराया ।युवा कवि पंकज प्रखर ने तिरंगे पर ओज कविता पढ़ी । रचनाकार सतीश सोलंकी ने अपनी ग़ज़ल के शेर सुनाते हुए कहा कि दिल, भरोसा, आशियां क्या नहीं टूटा,गनीमत ये रही कि हौसला नहीं टूटा । वरिष्ठ कवि बसंत जख्मी ने देश के हालातो पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि यह कैसा मेरा गांव, कहीं पर धूप कहीं पर छाव, नहीं यहां पर प्रेम की आंधी ,सुन दर्द देश के गांधी। हास्य कवि बंटी बम ने मां से प्रार्थना करते हुए कहा कि मेरी कलम में आ और मुझे विचार दे मां । कवियित्री दीपिका व्यास ने सरस्वती वंदना के साथ ही चंद्रयान सफलता पर काव्य पाठ करते हुए कहा कि अब मैं लल्ला से मुस्कुरा के कहूंगी,चंदा मामा के घर अबकी जाना है। वीर रस के कवि कुलदीप पंड्या ने चंद्रयान को लेकर किए गए परिश्रम पर काव्य पाठ करते हुए कहा कि परिश्रम की प्रतिबद्धता से पूरा किया अरमान को,तीन रंगों की डोर से बांध लिया चांद को । राष्ट्रीय कवि राम शर्मा परिंदा ने मानव को हौसला रखने की सीख देते हुए कहा कि जो बीत गई वह बात गई,जब भोर हुआ तो रात गई, दिवास्वप्न में खोना क्या, चिंता में मानव रोना क्या । सहदेव शर्मा ने निमाड़ी में हास्य रचना सुनाई ।
कार्यक्रम के प्रारंभ में कवियों का स्वागत राजा पाठक, शालिनी पाठक,शुभी पाठक, मुकेश मेहता, शिवलाल मालवीय , कन्हैया राठौड़ आदि ने किया । पाठक परिवार द्वारा कवियों को स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए। कार्यक्रम का संचालन श्रृंगार रस के कवि दीपक पटवा दिव्य ने किया और आभार सुखदेव राठौर ने माना।
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