"गर्वित करती जब बेटियां-करती बड़े काम है, तीर्थ है बहू-बेटी, तो मां चारों धाम है"
- भागवत कथा के मंच से काव्य रसों से सराबोर हुए श्रोता
✍️ विश्वदीप मिश्रा
मनावर (धार)। पितृपक्ष में शहर की राधारमण कालोनी में पितृ मोक्ष भागवत पुराण कथा पं.महादेव जोशी के मुखारबिंद से चल रही है। रात्रिकालीन आयोजन में शुक्रवार रात्रि मेंअखिल भारतीय साहित्य परिषद के संयोजन में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें कवियों ने विभिन्न रसों की कविताएं सुनाकर श्रोताओं को काव्य रस से सराबोर कर दिया। शुरुआत बतौर अतिथि भागवताचार्य पं.महादेव जोशी, खाटू श्याम मंदिर के पं.कपिल शास्त्री, समाजसेवी हेमंत खंडेलवाल, साहित्यकार बसंत जख्मी और कहानीकार गोविंद सेन, किशोर कुमार बागेश्वर ने दीप प्रज्ज्वलित कर की।
सरस्वती वंदना से काव्य पाठ की शुरुआत
काव्य पाठ की शुरुआत राजा पाठक ने सरस्वती वंदना से की।कवि विश्वदीप मिश्रा ने नारी शक्ति को रेखांकित करते हुए कहा कि गर्वित करती जब बेटियां, करती बड़े काम है। तीरथ है बहू बेटी, तो मां चारों धाम है। गीतकार वसंत जख्मी ने जीवन के विभिन्न रंगों को अपने गीत में उकेरते हुए कहा कि रंगों की तुम बात ना पूछो रंग निराले होते हैं ,कुछ बासंती ,सफेद, हरे कुछ लाल और काले होते हैं । कवियत्री अलका उपाध्याय ने भक्ति रस बरसाते हुए भगवान श्री कृष्ण पर श्याम रंग श्याम घन श्याम ही हमारो है काव्य पाठ किया।कवि ,गायक बलराम कसेरा ने भारत वंदना करते हुए कहा कि मां तेरे बच्चे हैं हम,हम पर तेरा उपकार है।
"जवानों जवानी में दम होना चाहिए,खून इस उम्र में गरम होना चाहिए"
कवि सतीश सोलंकी ने निमाड़ अंचल की यात्रा करवाते हुए कहा कि कुंदा,वेदा और रेवा की धारा बहती है । कवि पंकज राठौर प्रखर ने राष्ट्र वंदना अपनी ओजमयी वाणी में प्रस्तुत करते हुए कहा कि जवानों जवानी में दम होना चाहिए,खून इस उम्र में गरम होना चाहिए।
"नंगो के दरबार में कपड़ों का गुणगान,अंधों ने घोषित किया नेत्र करेंगे दान"
वरिष्ठ साहित्यकार गोविंद सेन ने अपने दोहे में व्यंग्य कसते हुए कहा कि नंगो के दरबार में कपड़ों का गुणगान,अंधों ने घोषित किया नेत्र करेंगे दान। , वीर रस के कवि कुलदीप पंड्या ने मां की महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि बंगला गाड़ी ठाठ है मां , शांति का पाठ है मां ।हास्य कवि ओम प्रकाश शर्मा ,हितेंद्र चौहान बंटी बम आदि ने हास्य की फुलझड़ियां छोड़ी । कवि सम्मेलन के आकर्षण गोरखपुर उत्तर प्रदेश से आए 10 वर्षीय बालकवि वेदांत मिश्रा की वीर रस में प्रस्तुति ने श्रोताओं की दांतों तले उंगली दबवा दी ।
कवि सम्मेलन का हास्यमय संचालन करते हुए राम शर्मा परिंदा ने पूरे समय श्रोताओं को बैठाएं रखा। अपनी रचना यह भारत देश है मेरा ,सदा में ध्यान रखता हूं, मुख से पावन माटी का गुणगान रखता हूं से कवि सम्मेलन का समापन किया। आभार हरि कृपा समिति के अंकित खंडेलवाल और मनीष सोनी ने माना।
Comments
Post a Comment