सहारा श्री सुब्रत रॉय नहीं रहे, 71 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस, लंबे समय से थे बीमार
- सहारा श्री सुब्रत रॉय के निधन से चर्चा में पत्नी और बच्चे, भारत को छोड़ इस देश की ले रखी है नागरिकता
✍️ सप्तग्रह ब्यूरो
मुंबई। सुब्रत रॉय सहारा का मुंबई के एक अस्पताल में मंगलवार रात को निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका मुंबई के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। सहारा श्री लंबे समय से निवेशकों का पैसा न लौटाने को लेकर विवादों से जूझ रहे थे।
सहारा श्री के नाम से प्रसिद्ध सुब्रत रॉय का मुंबई के अस्पताल में निधन हो गया है। वह लंबे समय से बीमार थे। उनकी गिनती भारत के एक बड़े कारोबारी के तौर पर होती थी। सुब्रत रॉय ने भारत में सहारा इंडिया परिवार की स्थापना की थी। उनके निधन पर राजनीतिक जगत से लेकर कई फिल्मी हस्तियों ने भी शोक जताया है। बहुत कम लोगों को मालूम है कि सहारा श्री सुब्रत रॉय की पत्नी स्वप्ना रॉय और बेटे सुशांतो रॉय ने भारत की नागरिकता को छोड़कर बॉल्कन देश मैसेडोनिया की नागरिकता ले ली थी। उन्होंने यह नागरिकता भारतीय कानून से बचने के लिए ली थी। सहारा श्री के खिलाफ निवेशकों का पैसा न लौटाने को लेकर कई मामले चल रहे थे। ऐसे में उनके परिवार के सदस्यों ने दूसरे देश की नागरिकता लेकर खुद को भारतीय कानून से दूर करने की कोशिश की थी।
सुब्रत रॉय सहारा अपनी पत्नी और बेटे सुशांतों के साथ |
निवेश के लिए नागरिकता देता है मैसेडोनिया
मैसेडोनिया दक्षिण पूर्वी यूरोप में स्थित देश है। यह एक नया देश है, जो निवेश के लिए लोगों को नागरिकता प्रदान करता है। रिपोर्ट के अनुसार, कोई भी नागरिक जो मैसेडोनिया की नागरिकता लेना चाहता है, उसे बस 4 लाख यूरो के निवेश करने की घोषणा करनी होती है और 10 स्थानीय लोगों को नौकरी देनी होती है।ऐसा करने से उसे मैसेडोनिया की नागरिकता आसानी से मिल सकती है। इसके अलावा जो विदेशी मैसेडोनिया के रियल एस्टेट में 40 हजार यूरो से अधिक का निवेश करता है, उसे एक साल तक रहने का अधिकार मिल जाता है। मैसेडोनिया ऐसा अपने देश में बेरोजगारी की दर को कम करने के लिए कर रहा है। मैसेडोनिया में बरोजगारों का संख्या काफी अधिक है।
सहारा श्री के मैसेडोनिया के साथ अच्छे थे रिश्ते
रिपोर्ट्स से अनुसार, सुब्रत रॉय सहारा के मैसेडोनिया के साथ काफी अच्छे रिश्ते थे। वह कई बार मैसेडोनिया के राजकीय अतिथि भी रह चुके थे। उन्होंने मैसेडोनिया में मदर टेरेसा की एक बड़ी प्रतिमा स्थापित करने की भी पेकशक की थी। उन्होंने वहां एक कसीनो बनाने का भी प्रस्ताव दिया था। मैसेडोनिया पहले युगोस्लाविया का हिस्सा था। बाद में वह 1991 में आजाद हो गया और 1993 में संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बना।
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