मौत की मछली : मध्य प्रदेश के बाजारों में बेखौफ बिक रही मांगुर


✍️नौशाद कुरैशी 

भोपाल । मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पद एवं गोपनीयता की शपथ लेने के बाद सबसे पहले मांस- मछली के खुलेआम विक्रय एवं ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर अंकुश लगाने वाले आदेश पर हस्ताक्षर कर अपनी पहली पारी की शुरुआत की। हैरानी की बात यह है कि प्रदेश सरकार के हरकत में आने के बाद भी प्रतिबंधित मांगुर मछली बाजारों में खुलेआम बिक रही है। इस मामले में प्रशासन का वही रटा रटाया जवाब है कि बहुत जल्द बाजार में देसी मांगुर मछली आ जाएगी और इसके आते ही थाई मांगुर बाजार से गायब हो जाएगी। ...तो क्या तब तक लोग इस जानलेवा मछली को खाकर यूं ही असमय मृत्यु को प्राप्त होते रहेंगे या शासन - प्रशासन लालफीताशाही के आवरण से बाहर निकल कर कोई बड़ा एक्शन लेगा? 

सन 2000 से लगा बिक्री पर प्रतिबंध 

थाई मांगुर मछली को 1998 में सबसे पहले केरल में प्रतिबंधित किया गया। उसके बाद वर्ष 2000 में देश भर में इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया। मांगुर मछली के पालन और विक्रय पर प्रतिबंध लगाने के पीछे सबसे बड़ी वजह इसका मांसाहारी होना है। वहीं इसका उपयोग करने वालों में कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। थाईलैंड की प्रजाति होने के कारण इसे थाई मांगुर भी कहा जाता है। चिकित्सकों की मानें तो मांगुर मछली खाने से कैंसर का खतरा रहता है। प्रतिबंधित होने के बावजूद भी इस मछली को बाजारों में खुले तौर पर बेचा जा रहा है। राजधानी भोपाल सहित मध्य प्रदेश के अधिकांश मछली बाजारों में मांगुर मछली देखी जा सकती है। जबकि राज्य का मत्स्य विभाग इस मछली के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने में पूरी तरीके से विफल साबित हो रहा है।

पर्यावरण के लिए भी खतरा है यह मछली

थाई मांगुर स्वास्थ्य के लिए ही नहीं बल्कि पर्यावरण के लिए भी खतरा बनती जा रही है। इस मछली के पालन करने की वजह से तालाब में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिसके कारण दूसरी मछलियां मर जाती हैं। इसी वजह से यह छोटी मछलियों समेत कीड़े-मकोड़ों को भी खा जाती है जिसके चलते इसकी वृद्धि तेजी से होती है। 

महू के मछली बाजार में खुलेआम बिक रही मांगुर

प्रतिबंधित मांगुर मछली महू शहर के मछली बाजार में बेखौफ होकर बेची जा रही। जानकारी के अनुसार साल 2000 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इसे पालने पर प्रतिबंध भी लगाया था। एक रिसर्च में भारत की मूल मछली की प्रजातियों की आबादी 70 फीसदी तक घटने के लिए भी इसे जिम्मेदार बताया गया था। परंतु इसके बावजूद भी महू के मछली बाजार में मछली विक्रेताओं द्वारा प्रतिबंधित मांगुर मछली को बेखौफ बेचा जा रहा है। इसको खाने वाले लोगों को नही पता है कि इस पर बैन लगा हुआ है, स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक भी है। कृपया शासन- प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। 

Comments

Popular posts from this blog

बुरहानपुर में बवाल : दरगाह का ताला तोड़कर अंदर घुसे हिंदू संगठन के कार्यकर्ता, हनुमान जी की प्रतिमा होने का दावा, चोला चढ़ा कर किया हनुमान चालीसा का पाठ

धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर मामले में नया मोड़ : कमिश्नर और कलेक्टर को हाईकोर्ट की अवमानना का नोटिस

नप गए SDM, तीन महीने की जेल और 25000 जुर्माना:आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला