दूल्हा-दुल्हन राजी, क्या करे काजी... चर्चा में है 104 साल के बुजुर्ग का निकाह
भोपाल। आमतौर पर लड़का लड़की के निकाह में उठने वाली पारिवारिक और सामाजिक ऐतराज पर चर्चाएं होती हैं। आखिर में लड़का लड़की की जीत इस बिना पर हो जाती है कि दूल्हा दुल्हन राजी तो क्या करे काजी...! लेकिन राजधानी भोपाल में 104 साल के बुजुर्ग दूल्हा और 50 साल की उनकी दुल्हन की चर्चाएं हैं। अकेलेपन को दूर करने की मंशा के साथ बुजुर्ग ने ये कदम उठाया तो उनकी खिदमत के जज्बे के साथ उनकी दुल्हन बनीं महिला ने ये फैसला लिया है।
हालांकि मामला ताजा नहीं है। करीब एक डेढ़ साल पहले का ये वाक्या है। जब पुराने शहर के रहने वाले 103 साल की उम्र वाले हबीब मियां ने करीब 49 बरस की फिरोज जहां से निकाह पढ़ा था। कजियात पहुंचकर निकाह की कागजी खानापूर्ति पूरी करने के बाद वे अपनी बेगम के साथ खुश भी दिखाई दिए थे और जोश से लबरेज भी। शादी ब्याह को उम्र से न जोड़ते हुए हबीब मियां ने कहा कि ये दिल का मामला है, दिल में गुंजाइश होना चाहिए, बाकी सब आसान है।
अब चर्चा में क्यों
वर्ष 2022 या 23 में हुए इस अनोखे निकाह का वीडियो तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। जिसमें मुफ्ती ए शहर मोहम्मद अबूल कलाम खान कासमी भी दूल्हा दुल्हन को मुबारकबाद देते दिखाई दे रहे हैं। इस विडियो में मुतवल्ली कमेटी के कर्मचारी और काजी कैंप हलके के निकाहख्वाह मौलाना याकूब साहब की मुबारकबादी आवाज सुनाई दे रही है। हाल ही में मसाजिद कमेटी ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए मुफ्ती मोहम्मद अबुल कलाम कासमी को पद से हटा दिया है। उन पर सियासी गतिविधियों में सक्रिय रहने और सरकार विरोधी बयानबाजियां करने के आरोप लगे हैं। संभवतः इस विडियो में मुफ्ती कलाम साहब की मौजूदगी को दर्शाने की गरज से ही इस पुराने वीडियो को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल किया गया है।
एक्शन मोड में मसाजिद कमेटी
मर्जर एक्ट के तहत वजूद में आई तीन जिलों (भोपाल, रायसेन और सीहोर) की मसाजिद कमेटी से इन जिलों की मस्जिदों की देखरेख, ईमाम मुअज्जिन की तनख्वाह आदि के मामले देखे जाते हैं। इस इदारे से काजी, मुफ्ती और अन्य उलेमा जुड़े हैं। जो निकाह, तलाक आदि के कामकाज सम्हालते हैं। कमेटी ने हाल ही में कुछ ऐसे फैसले लिए हैं, जो अब तक के इतिहास के लिए दलील माने जा रहे हैं। गैर शरई और सियासी गतिविधियों में लिप्त कुछ लोगों को कमेटी ने बेदखली के आदेश थमा दिए हैं। इनमें मुफ्ती मोहम्मद अबुल कलाम खान कासमी, नायब मुफ्ती मोहम्मद रईस अहमद कासमी, निकाहख्वाह काजी अजमत शाह मक्की, दानिश परवेज नदवी, और एक कंप्यूटर ऑपरेटर शामिल हैं।
सचिव बोले संदेश जरूरी
मसाजिद कमेटी सचिव यासिर अराफात का कहना है कि शासकीय अनुदान से संचालित ये संस्था सरकारी सीमाओं से बंधी है। इसलिए नियमों के पालन जरूरी हैं। साथ ही इस इदारे के किरदार के लिहाज से यहां जुड़े लोगों को शरई पाबंदियों का लिहाज रखना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि शिकायतें आला अधिकारियों तक पहुंची हैं, जिनके आधार पर कार्यवाही की जा रही है।
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