नौकरशाही की लचरता ने वन मंत्री के लिए बनाए विकट हालात


  • बात करने आए थे मेले की, चीतों की मौत के सवालों पर घिरे

✍️सप्तग्रह रिपोर्टर 

भोपाल। वन विभाग के अफसरों के घाघपान, पुराने कर्मकांड और कोताहियों के जाल में नए नवेले मंत्री घिर गए। राजधानी में आयोजित किए जाने वाले वन मेले की सूचना और आमंत्रण देने मीडिया से मिले वन मंत्री नागर सिंह चौहान और वन राज्य मंत्री प्रदीप अहिरवार कूनो में चीतों की मौत के सवालों से असहज हो गए। जबकि मौजूद अधिकारी इन हालात से मुंह घुमाए बैठे दिखाई दिए। 

हालात मंगलवार देर शाम को राजधानी के एक बड़े होटल में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बने। राजधानी में बुधवार से आयोजित वन मेले की जानकारी देने के लिए ये पत्रकारवार्ता आयोजित की गई थी। नवागत वन मंत्री नागर सिंह चौहान और राज्य मंत्री प्रदीप अहिरवार इस दौरान मौजूद थे। मंत्री चौहान ने कूनो में जन्मे चीतों पर मुबारकबाद से बात शुरू की तो मीडिया ने कूनो के पिछले हालात पर मंत्री चौहान को घेर लिया। अधूरी तैयारी, प्रतिकूल परिस्थितियों और अफ्रीका के चीतों के मप्र में शिफ्ट किए जाने में हुई कोताही पर उन्होंने सवाल दाग दिए। जिसको लेकर न तो मंत्री के पास जवाब थे और न ही कोई माकूल तर्क। इस बीच मीडिया ने अधिकारियों को भी घेरा, लेकिन उन्होंने बात को गोलमोल कर खत्म कर दिया।

बदले स्वरूप पर भी लाजवाब

राजधानी में आयोजित किए जाने वन मेले को कभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाना जाता था। इसकी शुरुआत बिट्ठल मार्केट से की गई, जो बदलते हुए लाल परेड मैदान पहुंचा और अब उसका ठिकाना भोपाल हाट के छोटे से एरिया में पहुंच गया है। मीडिया द्वारा किए गए सवालों पर मंत्री चौहान यही कह पाए कि चुनाव, मंत्रीमंडल गठन और विभागों के बंटवारे में हुई देरी की वजह से ये स्थिति बनी है।

राज्यपाल की मौजूदगी में शुरुआत

वन मेले का शुभारंभ बुधवार को राज्यपाल मंगू भाई पटेल ने किया। विभागीय मंत्री चौहान और राज्य मंत्री अहिरवार भी इसमें मौजूद थे। मेले में प्रदेश की वन संपदाओं से निर्मित दर्जनों आइटम मौजूद हैं। मप्र के अलावा आसपास के प्रदेशों के स्टॉल भी लगाए गए हैं। मेला 28 जनवरी तक जारी रहेगा।

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