शबे बरात पर विशेष : शाबान रहमत और बरकत का महीना
✍️नौशाद कुरैशी इ स्लामिक कैलेंडर में शाबान आठवां महीना है। पैगंबर इस्लाम ने शाबान को अपना और इसके बाद रमजान को अल्लाह का महीना बताया है। आप शाबान के महीने में रोज़ा रखा करते थे। आपको यह महीना इसलिए भी बहुत पसंद था, क्योंकि यह रमजान से लगा हुआ यानी उसके पहले था। शाबान महीना इसलिए भी विशेष है, क्योंकि इस महीने की 15वीं रात को शबे बरात यानी निजात (मुक्ति) की रात आती है। यूं तो अल्लाह ने ही सभी रातें और सभी दिन बनाए हैं, लेकिन इस्लाम धर्म में पांच ऐसी रातें बताई गई हैं जिन रात में मांगी गई दुआ जरूर कुबूल होती है। पहली जुमे की रात, दूसरी ईद-उल-फितर की रात, तीसरी ईद-उल-अजहा की रात, चौथी रजब की रात और पांचवीं निस्फ़ शाबान यानी शब-ए-बारात। इन रातों में दुआ मांगने से हर गुनाह माफ हो जाता है। हदीस शरीफ के अनुसार शबे बारात को निजात (मुक्ति), रहमत, मेहरबानी, बरकत और नेकी वाली रात कहा गया है। इस रात में व्यक्ति की उम्र, रोजी-रोटी, मान-सम्मान, दुख-सुख, मौत और जिंदगी का ब्योरा दर्ज होता है। इस रात में वे सब इंसानों के नाम लिखे जाते हैं जो इस वर्ष पैदा होने वाले और मरने वाले होते हैं। एक और हदीस के