हिन्दू-मुस्लिम एकता का अनूठा संगम : सूफी संत सलीम बाबा का 27 वां सालाना उर्स आज
- सुबह कुरान ख्वानी, शाम को चादर शरीफ का जुलूस और रात को महफिल-ए-कव्वाली का शानदार प्रोग्राम
✍️ सप्तग्रह रिपोर्टर
बाकानेर, धार (मध्य प्रदेश) । कौमी एकता कमेटी एवं करम मौला कमेटी बाकानेर, धरमपुरी,मनावर, लुन्हेरा, नसरुल्लागंज के तत्वावधान में हजरत सैयद काजी सलीम बाबा रहमतुल्लाहे अलैह का 27 वां उर्स हर साल की तरह इस साल भी 30 मई गुरुवार को धूमधाम से मनाया जाएगा।
इस अवसर पर गुरुवार को प्रातः 9 बजे मदरसा बाकानेर,दारुल उलूम नूरे मोहम्मदी मनावर और दारुल उलूम गौसिया गुलशने रजा धरमपुरी में कुरान ख्वानी की जायेगी। बाद नमाजे जौहर दोपहर 2 बजे दरगाह पर संदल होगा । शाम 5 बजे असर की नमाज के बाद हजरत सैयद काज़ी सलीमुद्दीन बाबा के घर से चादर शरीफ का जुलूस आस्ताने आलिया पर पहुंचकर चादर पेश की जायेगी । वहीं फतेहा ख्वानी होगी। बाद नमाजे मगरिब शाम 7 बजे शुद्ध सात्विक भंडारे का आयोजन किया जाएगा। शुद्ध शाकाहारी लंगर भंडारा सभी जायरीन (श्रद्धालुओं) के लिए रहेगा। कमेटी के डॉ. मुश्ताक अली हुसैनी एवं सुधीर वैद्य ने सभी कौम के लोगों से शुद्ध शाकाहारी लंगर में शिरकत फरमाने की अपील की है। इसके बाद ईशा की नमाज के बाद रात 9 बजे दरगाह परिसर में कव्वाली का शानदार प्रोग्राम होगा, जिसमें देश के मशहूर फनकार छोटा चांद कादरी कव्वाल पार्टी एवं जाफर हुसैन, शादाब हुसैन कव्वाल पार्टी अपने कलाम पेश करेंगे। उर्स कमेटी के जिम्मेदार और बाबा के करीबी मुरीद जाकिर कुरैशी ने बताया कि काजी बाबा की दरगाह हिंदू - मुस्लिम एकता की बड़ी मिसाल है। बाबा के हयाती के वक्त भी सर्व समाज के लोग आपसे आशीर्वाद लेने और मिलने आया करते थे । आपके पर्दा लेने के बाद भी दरगाह शरीफ पर फूल चादर और इत्र पेश करने के लिए दूर दराज से श्रद्धालु आते हैं और अकीदत के फूल पेश करते हैं। उर्स के मौके पर मनावर,धरमपुरी,गंधवानी,कुक्षी,राजपुर,महेश्वर खरगोन,धार,इंदौर,भोपाल,देवास, शाजापुर, बड़वानी,अलीराजपुर, झाबुआ सहित कई जिलों के लोग यहां आते हैं। जाकिर कुरैशी ने आगे बताया कि बाबा क्षेत्र के महान मस्त सूफी संत थे, उनके आशीर्वाद से कई लोगों का बेड़ा पार हो जाया करते था। वह ईश्वर से अपने सभी भक्तों के लिए प्रार्थना करते थे। आज उनके पर्दा लेने के बाद भी उनके चाहने वालों का आवागमन लगा रहता है। बाबा के बारे में बताया जाता है कि लोगों के द्वारा दिए गए उपहार को वह गरीबों में बांट दिया करते थे। आपके कई जीवित चमत्कार हैं जिसे लोगों ने महसूस किया है आज भी उन्ही की वजह से लोगों की श्रद्धा बनी हुई है। बाबा के अनेक चमत्कारों में से एक चमत्कार बताते हुए दरगाह पर मौजूद बाबा के करीबी मुरीद जहीर मंसूरी चौधरी ने बताया कि सन 1990 की बात है धरमपुरी खुज नदी में पानी भरा हुआ था, नदी के दोनों छोर पर बड़े-बड़े वाहनों का जमावड़ा था, मानो तो एक मेला लगा हुआ था। उस दौरान एक जीप जिसका नंबर एमपी 11-1234 था, उस जीप में कई यात्रियों के साथ बाबा सवार थे पानी बहता रहा बाबा ने आदेश दिया की गाड़ी को चलने दो और गाड़ी भरे पानी में पुल के उस पार हो गई, यह मंजर देख लोग हैरान रह गए। इसके बाद नदी के दोनों छोर पर खड़े लोग भी अपने वाहनों के साथ निकलना शुरू हो गए और किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ और सभी लोग सकुशल पहुंच गए। किसी शायर ने क्या खूब लिखा है -
"इरादे रोज बनते हैं और बन कर टूट जाते हैं, वही बाकानेर जाते हैं जिन्हें काजी बाबा बुलाते हैं।"
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