नस्लों की बेहतरी के लिए पहली सीढ़ी को पुख्ता करना जरूरी : मुफ्ती रहीम उल्लाह खान कासमी


दूसरा दिन : सालाना इज्तिमा हुई आधी आबादी की बात, औरतों को समझाई दीन की बारीकियां

✍️खान आशु 

भोपाल। एक औरत की तालीम(शिक्षा) और दीन(धर्म) की समझ आने वाली कई नस्लों के लिए बेहतरी के रास्ते खोलने वाली होती है। हर घर में औरत ही वह शख्सियत होती है, जो अपने बच्चों की पहली टीचर, साथी, दोस्त होती है। इसी पहली सीढ़ी को पुख्ता करना जरूरी भी है और हर एतबार से लाजमी भी।


राजधानी के पुराने इलाके में स्थित मोती मस्जिद की बगिया में जारी 3 दिवसीय सालाना इज्तिमा के दूसरे दिन यह बात कही गई। महिलाओं के लिए खास तौर से आयोजित इस सत्र को मुफ्ती मौलाना रहीम उल्लाह खान कासमी ने संबोधित किया। पर्दे के इंतजाम के साथ आयोजित कार्यक्रम में बड़ी तादाद में महिलाएं मौजूद थीं। साथ ही बड़ी संख्या में पुरुष श्रोताओं ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।

अलग-अलग सत्र में अलग-अलग बात 

इज्तिमा के दूसरे दिन कार्यक्रम स्थल पर कई सत्र आयोजित किए गए। जिन्हें अलग अलग उलेमाओं ने संबोधित किया। इस दौरान स्पोर्ट्स कोटे से नौकरी पाना और हेल्थ न्यूट्रिशन की जानकारी इसरार मलिक ने दी। तबलीगी जमात से संबंधित सेशन को नायब शहर काजी मौलाना अली कदर ने संबोधित किया। इसी तरह सैयद साजिद अली ने कानूनी सलाह और महत्वपूर्ण जानकारी दी। कार्यक्रम के दौरान जमीयत उलेमा हिंद के मौलाना अहमद खान ने भी अपनी बात रखी।

अजान से गूंजा पुराना शहर

कार्यक्रम की एक कड़ी के रूप में अजान कंपीटीशन भी रखा गया था। आयोजन मंडल के मौलाना सैयद साद अली नदवी ने बताया कि इस प्रतियोगिता में शहर की विभिन्न मस्जिदों के मुअज्जिन (अजान देने वाले) शामिल किए गए थे। उन्होंने कहा कि इस प्रतियोगिता का मकसद मुअज्जिन हजरात को सुरीली और दिलकश आवाज में अजान देने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने बताया कि इस प्रतियोगिता के सफल प्रतिभागियों को आकर्षक पुरस्कार और सर्टिफिकेट से नवाजा गया। शहर काजी सैयद मुश्ताक अली नदवी ने इन सभी की हौसला अफजाई की।

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