आज पहली बार प्रदेश के यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में मनाया जाएगा गुरु पूर्णिमा उत्सव

  • गुरु पूर्णिमा उत्सव के सरकारी फरमान पर नहीं चढ़ पाया राजनीतिक रंग 
  • इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के कार्यक्रम में होंगे शामिल सीएम डॉ. मोहन यादव

ध्यप्रदेश सरकार के कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में गुरुपूर्णिमा उत्सव मनाए जाने के फरमान पर राजनीतिक रंग नहीं चढ़ पाया। हालांकि सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस ने अपत्ति जरुर जताई, लेकिन मुद्दा नहीं बना पायी। नतीजतन, प्रदेश के सरकारी तथा गैरसरकारी कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में कल पहली बार गुरु पूर्णिमा उत्सव मनाया जाएगा। इस आयोजन में आमजन और साधु-संत भी शामिल होंगे।

यही नहीं, स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रविवार को सुबह 10:30 बजे इंदौर में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के सभागृह में आयोजित गुरू पूर्णिमा के कार्यक्रम में शामिल होंगे। 

इधर कांग्रेस का कहना है कि यह आदेश एक धर्म विशेष के लिए है। इस आदेश के बाद दूसरे धर्म के बच्चे भी अपनी परंपराओं को स्कूल में लागू करने की मांग कर सकते हैं। बहरहाल, इस सरकारी फरमान पर कांग्रेस को दूसरे धर्म के लोगों का साथ भी नहीं मिला और वह इसे मुद्दा नहीं बना सकी।

बता दें कि पहली बार ऐसा होगा जब राज्य सरकार ने सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को गुरु पूर्णिमा पर इस तरह के उत्सव मनाने के बकायदा निर्देश दिए हैं। यह उत्सव 21 और 22 जुलाई को मनाया जाएगा।

इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग की ओर से जारी निर्देश में सभी यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार, उच्च शिक्षा विभाग के क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक और कॉलेज प्राचार्यों से कहा गया है कि वे इस उत्सव में साधु संतों को जोड़ें, उन्हें आमंत्रित करने के लिए अपने जिले के जिला कलेक्टर से संपर्क करें और कार्यक्रम आयोजित करें। 

क्यों मनाते हैं गुरु पूर्णिमा

लगभग 3000 ई.पूर्व पहले आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता वेद व्यास का जन्म हुआ था। वेद व्यास जी के सम्मान में हर वर्ष आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का दिन बनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन वेद व्यास जी ने भागवत पुराण का ज्ञान भी दिया था। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है।

गुरु पूर्णिमा का महत्व 

गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरुजनों के सम्मान और उन्हें गुरु दक्षिणा देने का बहुत महत्व है। माना जाता है कि इस दिन अपने गुरु और गुरु तुल्य वरिष्ठजनों को मान-सम्मान देते हुए उनका आभार जरूर व्यक्त करना चाहिए। साथ ही जीवन में मार्गदर्शन करने के लिए उन्हें गुरु दक्षिणा देने का भी महत्व है। गुरु पूर्णिमा के दिन व्रत, दान-पुण्य और पूजा-पाठ का भी बहुत महत्व है। माना जाता है कि जो मनुष्य गुरु पूर्णिमा का व्रत रखता है और दान-पुण्य करता है, उसे जीवन में ज्ञान की प्राप्ति होती है और जीवन के बाद मोक्ष मिलता है।


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