इतिहास संस्कृति से रूबरू हुए नर्मदा महाविद्यालय के विद्यार्थी


  • इतिहास की विरासत है शैल चित्र एवं मूर्तिकला : डॉ हंसा व्यास
  • विद्यार्थियों ने आदमगढ़ पहाड़ी पर कचरे को बटोर कर दिया स्वच्छता का संदेश

✍️नर्मदापुरम से राजीव रोहर की रिपोर्ट 

र्मदापुरम जिले में पर्यटन के विकास एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए लगातार गतिविधियों को किया जा रहा है। जिसके लिए मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग एवं जिला प्रशासन अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। इसी तारतम्य में कलेक्टर नर्मदापुरम् सोनिया मीना के मार्गदर्शन में इंडियन ग्रामीण सर्विसेज द्वारा नर्मदा महाविद्यालय में पर्यटन में रोजगार की संभावनाओं को लेकर कौशल विकास का प्रशिक्षण कार्यक्रम शासकीय नर्मदा महाविद्यालय के इतिहास विभाग में जारी है।


इसी संदर्भ में महाविद्यालय के इतिहास, चित्रकला तथा पर्यटन के विद्यार्थियों को आदमगढ़ और संग्रहालय का भ्रमण कराया गया। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ अमिता जोशी ने शैक्षणिक भ्रमण के लिए महाविद्यालय की बस को हरी झंडी दिखाई और विद्यार्थियों से कहा कि शैक्षणिक भ्रमण व्यावहारिक धरातल पर ज्ञान कराता है और साथ ही साथ व्यक्तित्व का विकास भी करता है। आदमगढ़ की पहाड़ियों के शैल चित्रों पर प्रकाश डालते हुए चित्रकला विभाग की नित्या पटेरिया ने भारतीय चित्रकला के विकास पर प्रकाश डाला। मढ़ई से आए हुए आशीष पांडे ने एक गाइड को किस तरह से विषय वस्तु का प्रस्तुतीकरण करना चाहिए, ट्रेकिंग के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और शैल चित्रकला पर किस तरह से विद्यार्थियों को अध्ययन करना चाहिए इसकी जानकारी विद्यार्थियों को दी। इतिहास विभाग की डॉ हंसा व्यास ने विद्यार्थियों को जिला पुरातत्त्व संग्रहालय की मूर्तिकला और शैल चित्रों पर विद्यार्थियों से चर्चा करते हुए कहा कि ये इतिहास के प्रमाणिक पुरातात्त्विक स्रोत है और भारतीय संस्कृति की धरोहर है। डॉ कल्पना विश्वास ने कहा कि एक गाईड को पर्यटकों से संवाद करते समय समय प्रबंधन का भी ध्यान रखना चाहिए। जिला नर्मदापुरम् के पर्यटन प्रबंधक मनोज ठाकुर ने कहा कि एक अच्छे गाईड के लिए आवश्यक है कि वह अपनी बात रोचक तरीके से प्रस्तुत करे। सभी विद्यार्थियों को आदमगढ़ पहाड़ी एवं शैल चित्रों के इतिहास की जानकारी दी गई। 


सभी विद्यार्थियों ने रोचकता दिखाते हुये जानकारी ली एवं पहाड़ी पर मिले कचरे को भी बटोरा। साथ ही नर्मदापुरम जिला पुरातत्व संग्रहालय पहुंचकर संग्रहालय में रखी मूर्तियों की भी जानकारी ली और संग्रहालय में रखे 2 लाख साल पुराने हाथी दांत को अपने मोबाइल में भी कैद किया। संग्रहालय में दुर्गा प्रसाद बिछल्ले ने संग्रहालय प्रबंधन पर प्रकाश डाला। विद्यार्थियों ने इस तरह के शैक्षणिक भ्रमण को बौद्धिक विकास की आवश्यकता बताया इसमें सक्रिय भागीदारी वैष्णवी मांझी, शांति मांझी, पाखी माहुरकर, ऋतिक सेन,रोहित,अनुराग,मुस्कान, अपूर्वा, तनिष्का, अनुष्का, धर्मेंद्र, अमन मेहरा, शिवांशु, मनोज टेकाम, अर्जुन, प्रयांशी दुबे, शाहिल खान, भारती, मानसी, स्वाति, मुस्कान आदि विद्यार्थियो ने निभाई।

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