भगवन्नाम की महिमा है अपार :आचार्य सोमेश परसाई
- न्यायाधीश, सांसद, विधायक और बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए शिव भक्त
✍️नर्मदापुरम से राजीव रोहर की रिपोर्ट
श्री विद्या ललिताम्बा समिति के तत्त्वाधान व आचार्य सोमेश परसाई के सान्निध्य में आयोजित श्री सवाकरोड शिवलिंग निर्माण एवं संगीतमय रुद्राभिषेक में आज चतुर्थ दिवस के अवसर पर पूज्य गुरुदेव शिव भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि दान में गुप्त दान का सर्वाधिक महत्त्व है ।यह सीधे परमात्मा को प्राप्त होता है ।
पुराने समय मे कहते थे कि जब एक हाथ से दान करें तो दूसरे हाथ को पता नही चलना चाहिए। आचार्य श्री ने बताया कि कुल 84 लाख योनिया होती है इसमें सर्वाधिक महत्त्व मनुष्य योनि का है।मनुष्य देह सर्वाधिक दुर्लभ है इसमें भी यदि जन्म भारत वर्ष में हुआ है तो आप सर्वाधिक भाग्यशाली।इसका उपयोग यदि भजन में नही हुआ तो फिर जीवन व्यर्थ है ।मनुष्य देह को प्राप्त कर के यदि मुक्त होने का प्रयास नही किया तो मनुष्य देह व्यर्थ है ।
मुक्ति कैसे प्राप्त होगी इस पर प्रकाश डालते हुए आचार्य श्री ने बताया कि श्री गुरु चरण रज के प्रभाव से भजन पूजन से ही मुक्ति संभव है ।आचार्य श्री ने बताया काम करना ,खाना फिर सो जाना यह तो जानवर भी कर लेते है ।हम बड़े भाग्यशाली है जो मनुष्य देह मिली है इसमें भगवान की कृपा प्राप्त नही की तो फिर 84 लाख योनियों में भटकना पड़ेगा।आचार्य श्री ने मिट्टी के शिवलिंग का महत्त्व बताते हुए कहा कि पार्थिवेश्वर शिवलिंग का सर्वाधिक महत्व है ।हमारा शरीर पंचतत्वों से बना है जो कि अंत समय मे पंच तत्त्वों में ही मिल जाएगी। पार्थिवेश्वर शिवलिंग का पूजन लौकिक सुख तो देता ही है साथ ही साथ बंधनो से मुक्त कर मोक्ष की प्राप्ति करवाता है। पूज्य गुरुदेव ने ध्रुव चरित्र पर व्याख्या करते हुए कहा कि भगवान के दर्शन होने के बाद जब यक्षों ने ध्रुव के भाई उत्तम कुमार की हत्या कर दी ।जिससे क्रोधित हो कर जब ध्रुव जी यक्षों का वध करने लगे तब उनके गुरु ने उनको बताया कि तेरा भगवान के दर्शन करना व्यर्थ हो जाएगा ।गुरुदेव के गुरु के मार्गदर्शन में ही ध्रुव जी पुनः भगवान के भजन के मार्ग पर चले। आचार्य श्री ने बताया कि सच्चा गुरु आपको भगवान से मिलाता है।
आचार्य श्री ने कहा कि यदि हम नित्य गौ ग्रास नही देते आये हुए अतिथि को भोजन नही कराते।जरूरतमंद की मदद नही करते तो ये जीवन व्यर्थ है कर के देखिए आपके जीवन मे संतोष बढ़ जाएगा ।
आचार्य श्री ने भगवन्नाम की महिमा बताते हुए कहा कि नाम की महिमा अपरंपार है ।भगवान शिव भी सदैव राम नाम के आनंद में रहते हैं वही राम शिव को हृदय में धारण करते हैं ।राम चरित्र मानस के अंतर्गत सेतु बंधन का उदाहरण देते हुए आचार्य श्री ने कहा कि जिसको भगवान का सहारा होता है वह पत्थर भी भवसागर को तैर जाता है शिव पुराण का उल्लेख करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि भगवान शिव की कृपा से ही भगवान विष्णु जगत मे पूज्य हुए और असत्य भाषण के कारण ब्रह्मा जी का पूजन नही होता ।भगवान को सत्य का पालन करने वाले भक्त अत्यंत प्रिय होते है ।जो भी व्यक्ति सत्य को धारण करता है अंत मे विजय उसी की होती है। कार्यक्रम के प्रथम चरण में आचार्य पंकज पाठक , आचार्य घनश्याम शर्मा एवं आचार्य हरिओम मिश्रा के नेतृत्व में वैदिक विद्वानों द्वारा गणेश अम्बिका सहित मंडल आदि पूजन के पश्चात रुद्र पाठ हुआ ।तत्पश्चात शिव भक्तों ने रुद्री निर्माण प्रारम्भ किया । पं. दिनेश तिवारी एवं आचार्य अविनाश मिश्रा के नेतृत्व में ब्राम्हण समाज ने किया गुरुदेव का सम्मान तथा क्षत्रीय राजपूत समाज एवं करणी सेना ने सामूहिक रुद्री निर्माण किया एवं गुरुदेव का सम्मान किया।
कार्यक्रम में क्षेत्रीय सांसद दर्शन सिंह चौधरी,शिवशंकर चौधरी,शैलेन्द्र तिवारी,सुरेंद्र मणि, जोगेन्दर सूर्यवंशी,हेमेश्वरी पटले, प्रतिमा बेलिया,मोहन शर्मा विधायक नर्सिंगगढ़,रुचि पांडे न्यायाधीश ,जया मिश्रा न्यायाधीश,अनरा देवी न्यायाधीश ,शक्ति सिंह रघुवंशी,राहुल सोलंकी,पप्पू भदौरिया ,गौरव थापक,अजय सैनी,विक्रांत चौकसे,शिवम बोहरे, दीपक महलाह,दीपू पुरोहित,नितिन तिवारी, वीरेंद्र तिलोटिया सहित भारी संख्या में शिव भक्त सम्मिलित हुए। समिति की और से जेल की व्यवस्था देख रहे डीएस दांगी ने बताया कि केंन्द्रीय जेल के बंदी उत्साह के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए रुद्री निर्माण कर रहे हैं उन्होंने बताया कि आज बंदियों ने 1लाख 25 हज़ार रुद्रियों का निर्माण किया। कुल मिला कर बंदी अभी तक 3 लाख से ज्यादा रुद्रियाँ बना चुके है जिनको कार्यक्रम स्थल पर ला कर विधिवत पूजा किया जा रहा है।
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