नफरत का जवाब मोहब्बत से: "महाकुंभ में तिरस्कार और इज्तिमा में स्वीकार"
- व्यापारिक मेले में सबके स्वागत की तैयारी
✍️सप्तग्रह रिपोर्टर
भोपाल। हाल ही में महाकुंभ और दतिया के आयोजनों में मुस्लिम व्यापारियों की बेदखली की खबरें सामने आई हैं, जिनका विरोध विभिन्न संतों और कथा वाचकों ने किया है। इन घटनाओं के बीच आलमी तबलीगी इज्तिमा द्वारा आयोजित मेला एक सकारात्मक संदेश देने जा रहा है। इज्तिमा में आयोजित होने वाले व्यापारिक बाजार में इस बार सभी धर्मों के व्यापारियों को शामिल करने की घोषणा की गई है, जिससे नफरत के जवाब में मोहब्बत का पैगाम दिया जा रहा है।
ऑल इंडिया मुस्लिम त्यौहार कमेटी के संरक्षक मंडल के सदस्य जफर आलम ने कहा कि कुछ लोग समाज में भेदभाव फैलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भारत की गंगा-जमनी तहजीब को तोड़ पाना उनके बस की बात नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में सभी धर्मों के लोग मिलजुल कर त्योहारों और खुशियों का उत्सव मनाते हैं, और इस तरह की नफरत की सियासत को कभी सफल नहीं होने दिया जाएगा।
इज्तिमा: सभी धर्मों के व्यापारियों के लिए एक मौका
इज्तिमा के दौरान ताजुल मसाजिद परिसर में आयोजित होने वाला व्यापारिक मेला एक लम्बी परंपरा का हिस्सा है, जो इज्तिमा के साथ हर साल लगता है। इस मेले में देशभर से आने वाले व्यापारी अपने उत्पाद बेचते हैं, और यहां सभी धर्मों के व्यापारियों के लिए समान अवसर प्रदान किए जाते हैं। जफर आलम ने स्पष्ट किया कि इस मेले में किसी प्रकार की धार्मिक भेदभाव की कोई गुंजाइश नहीं होगी, और सभी धर्मों के व्यापारी पहले की तरह अपनी दुकानों का संचालन कर सकेंगे।
मध्य प्रदेश में भेदभाव का मामला
मध्य प्रदेश के दमोह जिले में हाल ही में एक स्वरोजगार मेले के दौरान मुस्लिम व्यापारियों को धार्मिक आधार पर बाहर निकाले जाने का मामला सामने आया। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता और अधिवक्ता दीपक बुंदेले ने इस मामले को गंभीरता से उठाते हुए राज्य मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने कहा कि मेले के आयोजकों ने मुस्लिम व्यापारियों को बिना किसी उचित कारण के स्टॉल लगाने से मना कर दिया, जबकि उन्होंने सभी निर्धारित शुल्क भी चुका दिए थे। दीपक बुंदेले ने यह भी बताया कि यह व्यवहार संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है, जो धर्म, जाति या अन्य किसी आधार पर भेदभाव को रोकता है। उन्होंने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
और अंत में
इन घटनाओं से यह संदेश मिल रहा है कि समाज में बंटवारे और नफरत फैलाने की कोशिशें असफल रहेंगी, क्योंकि हमारे देश में विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का सम्मान किया जाता है। आलमी तबलीगी इज्तिमा का मेला इसका एक सशक्त उदाहरण है, जहां सभी धर्मों के व्यापारी मिलकर कारोबार करते हैं और सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देते हैं।
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