उज्जैन में आयोजित शोध संगोष्ठी में भारतीय संस्कृति के मूल्यों की गूंज


  • अक्षर वार्ता अवार्ड समारोह - भारतीय ज्ञान परंपरा में छिपा है विश्व शांति का मंत्र: अशोक त्रिपाठी

✍️सप्तग्रह रिपोर्टर 

उज्जैन। महाकाल नगरी उज्जैन में भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा पर एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी और अलंकरण समारोह का आयोजन किया गया। इस आयोजन में देशभर के चिंतकों, शोधकर्ताओं और समाजसेवियों ने भारतीय लोक परंपराओं, संस्कृति, और प्रकृति के संरक्षण पर विचार-विमर्श किया। समारोह का आयोजन साहित्यकार और वरिष्ठ पत्रकार डॉ. मनोहर बैरागी ने किया, जिसमें "भारतीय ज्ञान और परंपराएं" विषय पर गहन चर्चा की गई।


अक्षर वार्ता अंतरराष्ट्रीय अवार्ड-2024 के तहत आयोजित इस समारोह में प्रमुख वक्ता के रूप में उपस्थित थे अशोक त्रिपाठी, जो स्वदेशी आंदोलन से जुड़े वरिष्ठ समीक्षक, चिंतक और समाजसेवी हैं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में सभी के सुख और भलाई की कामना की गई है, और इसी परंपरा के मूल्यों में ही विश्व शांति की स्थापना का संदेश निहित है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रकृति के संसाधनों का उपयोग केवल मानव कल्याण के लिए ही नहीं, बल्कि समग्र जीवन के संतुलन के लिए होना चाहिए, जो सनातन धर्म का मूल उद्देश्य है। त्रिपाठी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आजकल हम विकास की अंधी दौड़ में प्रकृति का अत्यधिक दोहन कर रहे हैं, जिसके गंभीर दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने शोधार्थियों और चिंतकों से इस दिशा में सजग और सार्थक चिंतन की अपील की।


मुख्य अतिथि डॉ. दीपक विजयवर्गीय, जो वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक और भाजपा के पूर्व मुख्य प्रवक्ता हैं, ने भारतीय ज्ञान परंपरा की पुरानी और अत्यधिक समृद्ध धारा की बात की। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में अपार खजाना छिपा हुआ है, जिसे लेकर हमें निरंतर शोध और अध्ययन की आवश्यकता है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. रमण तिवारी ने भारतीय ज्ञान परंपरा को संवाद के माध्यम से संचालित एक जीवंत प्रक्रिया बताया और कहा कि योग, ब्रह्म और जीव के संबंधों का गहन अर्थ हमारे जीवन में संतुलन और शांति लाने में सहायक है।

समारोह में डॉ. रूपा भावसार की पुस्तक "इलेक्ट्रॉनिक हिंदी पत्रकारिता: वर्तमान स्थिति और संभावनाएं" का भी विमोचन किया गया, जिसे डॉक्टर नेत्रा रावणकर ने प्रस्तुत किया। साथ ही, डॉ. संजय कुमार की काव्य कृति "रश्मिपथ" और अक्षरवार्ता शोध पत्रिका के नवीनतम अंकों का लोकार्पण भी किया गया। 


विशिष्ट अतिथियों और आयोजकों का स्वागत

समारोह के प्रारंभ में, वाल्मीकि पीठ के महंत और राज्यसभा सांसद उमेशनाथ महाराज ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। समारोह के मुख्य अतिथि त्रिपाठी एवं विशिष्ट अतिथि डॉ. विजयवर्गीय, डॉ. तिवारी एवं एक्शन इंडिया दिल्ली के राज्य ब्यूरो प्रमुख प्रेम कुशवाह को प्रतीक चिन्ह एवं अंगवस्त्र पहनाकर स्वागत कृष्ण बसंती संस्था के अध्यक्ष डॉ. मोहन बैरागी, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने किया। आयोजन में भारत भर से आए शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को अंतर्राष्ट्रीय अक्षर वार्ता अवार्ड-2024 से सम्मानित किया गया। उन्हें शील्ड, अंगवस्त्र, पदक और प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए।

संगोष्ठी में शोधपत्रों की प्रस्तुति

संगोष्ठी के दौरान कई शोधार्थियों ने अपने-अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इनमें सुश्री वर्षा कुमारी (नालंदा, बिहार), सुश्री प्रियंका भटेवरा जैन, डॉ. अभिलाषा शर्मा, डॉ. रूपा भावसार, डॉ. मोहन पुरी (नरसिंहगढ़) और अन्य कई नामी शोधकर्ता शामिल थे।


समारोह की समाप्ति

कार्यक्रम के अंत में, आभार प्रदर्शन श्री ओ.पी. वैष्णव ने किया। संगोष्ठी का संचालन ललित कला अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जगदीश चंद्र शर्मा ने किया। इस महत्वपूर्ण आयोजन में देशभर के विभिन्न शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं, और समाजसेवियों ने भाग लिया, और इसे एक सफल और समृद्ध अनुभव बना दिया।

इस आयोजन के माध्यम से भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया गया और यह संदेश दिया गया कि हमें अपनी परंपराओं की रक्षा करनी चाहिए, ताकि हम जीवन के हर पहलू में संतुलन और शांति की स्थापना कर सकें।




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