बेनजीर की नई नजीर... एक मंच जुटे कई क्षेत्र, कई प्रतिभा, कई साहित्यकार, जानें क्या है पूरा कार्यक्रम


✍️खान आशु 

भोपाल। नजर और नजरिया बदलेगा तो नजारा खुद ब खुद बदला हुआ नजर आएगा। राजधानी भोपाल की एक साहित्यिक सामाजिक संस्था ने इसी धारणा के साथ एक आयोजन किया। दो दिवसीय इस आयोजन में अलग अलग क्षेत्रों से जुड़े लोगों को जुटाया गया। शिक्षा, साहित्य, संस्कृति और जन सरोकार से संबद्ध व्यक्तित्व को सराहने की बारी आई तो संबंधित क्षेत्र के जमीनी लोगों को भी इसमें शामिल किया गया। गंगा जमुनी तहजीब को जिंदा रखने के प्रयास भी इस दौरान बढ़ाए गए।

शिक्षा और भाषा के लिए समर्पित यह कार्यक्रम बेनजीर अंसार एजुकेशन एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी ने आयोजित किया था। कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने वाले रिटायर डीजीपी एमडब्ल्यू अंसारी अपने कार्यकाल में न तो शिक्षा से संबंधित रहे, न ही भाषा, साहित्य या संस्कृति से उनका कोई ताल्लुक था। सेवानिवृत्ति के बाद सामाजिक समरसता और सरोकार से जुड़े कामों के दौरान वे राजधानी को बहु आयामी और परिणाम मूलक आयोजन देने की महारत समेटते जा रहे हैं। इसी कड़ी में विश्व शिक्षा दिवस और उर्दू दिवस की परिकल्पना के बीच अंसारी ने कई नए आयाम स्थापित किए। कार्यक्रम के विषय, शामिल किए जाने वाले मेहमानों से लेकर सम्मानित किए जाने वाले व्यक्तियों तक में उन्होंने कुछ नयापन लाने और प्रचलित परिपाटी को मिटाने की कोशिश कर डाली।

एक मंच शहर के साहित्यकार

राजधानी में साहित्यिक कार्यक्रमों की सफलता की गारंटी कहे जाने वाले प्रो नौमान खान, इकबाल मसूद, डॉ अली अब्बास उम्मीद जैसे नाम यहां मौजूद थे तो आजम अली खान, डॉ हस्सान उद्दीन फारूखी, डॉ सैयद इफ्तिखार अली जैसी शख्सियतों ने भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। कार्यक्रम को सूत्रों में पिरोने की जिम्मेदारी राजधानी भोपाल से ताल्लुक रखने वाले अंतर्राष्ट्रीय शायर डॉ अंजुम बाराबंकवी और डॉ महताब आलम ने सम्हाल रखी थी।

उर्दू मंच पर माही और सुनील

आमतौर पर हिंदी और उर्दू की दीवारों में बंट चुके साहित्यिक मंचों में नामों को लेकर भी परहेज रखा जाने लगा है। संस्था बेनजीर ने अदब की इस बेअदबी को दूर करने की कोशिश भी की। आयोजन के दौरान जहां मंच साझा करने के लिए कई हिंदी साहित्यकारों को जोड़ा गया तो सम्मान की श्रेणी में कई महत्वपूर्ण नामों को जोड़ा गया। गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए अग्रणीय और रेखांकित किया जाने जैसा काम करने वाली माही भजनी को इस दौरान ऐजाज से नवाजा गया। डॉ अजय त्रिपाठी और सुनील व्यास, अभिषेक वर्मा, शशांक त्यागी, डॉ अम्बरीष त्रिपाठी भी अलग अलग क्षेत्रों की अपनी सेवाओं के लिए सम्मान मंच पर मौजूद थे।

सिर्फ नाम नहीं, काम पर फोकस

आमतौर पर नामवर लोगों को सम्मान, शॉल, श्रीफल और फूलों से सम्मानित किए जाने की परम्परा बनी हुई है। संस्था बेनजीर ने इस कड़ी को निचले पायदान से सहेजते हुए उन लोगों को भी सम्मान देने की पहल की, जिनके नाम अक्सर भुला दिए जाते हैं। दैनिक उर्दू नदीम के सर्कुलेशन से जुड़े सैयद महफूज अली को उनकी बरसों की सेवाओं के लिए सम्मान दिया गया। कहा गया कि यह न हों तो अखबार छप कर प्रेस में ही पड़े रह जाएं। इनकी मेहनत से लोगों को अपनी चौखट पर अखबार मिल पा रहा है। इसी तरह कंप्यूटर ऑपरेटर हाफिज असद नदवी को भी सम्मान से नवाजा गया। इसके अलावा अखबारों को खिदमत देने वाले मोहम्मद जावेद खान, रिजवान अहमद शानू, नवेद इशरत, फरहान खान, सलमान खान और खान आशु को भी पत्रकारिता क्षेत्र में दिए गए योगदान के लिए सम्मान किया गया। 

लगा शायरों का मेला

संस्था बेनजीर अंसार एजुकेशन एंड सोशल वेलफेयर सोसाइटी के दो दिन के आयोजन के दौरान मुशायरा महफिल भी सजी। इनमें शहर के कई नामवर शायरों ने अपने कलाम पेश किए

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