"दुनिया-ए-फानी से मशहूर शायर और साहित्यकार जिया फारूखी का अलविदा"


  • साहित्यिक-सांस्कृतिक और शायरी जगत की मशहूर शख्सियतों ने पेश की खिराज-ए-अकीदत 

भोपाल। वे शायर, साहित्यकार अच्छे थे या बेहतर इंसान, यह तय किया जाना थोड़ा मुश्किल होता है। बुजुर्गियत की उम्र से भी आगे निकल चुके, लेकिन उनकी सक्रियता इस बात पर यकीन करने की इजाजत नहीं देता। शहर की कमोबेश हर साहित्यिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक गतिविधि में पूरे जोश के साथ मौजूद रहना उनकी खासियतों का हिस्सा रहा। 

शायर और साहित्यकार जिया फारूखी के इंतकाल की खबर मंगलवार सुबह जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो लोग इस पर आसानी से यकीन नहीं कर पाए। कुछ दिन पहले मुलाकात होने का जिक्र करते हुए डॉ नजर मेहमूद ने इस खबर पर यकीन नहीं किया, बोले चंद दिनों पहले जिस सेहत, तंदुरुस्ती और सक्रियता के साथ वे नजर आए थे, उसके मुताबिक तो यह खबर काबिल ए यकीन नहीं लग रही। लेकिन उन्होंने अल्लाह के फैसले को सबसे आगे मानते हुए उनकी मगफिरत की दुआ की। कई कार्यक्रमों और कई बार महज मुलाकात के लिए भी साथ रहने वाले डॉ महताब आलम की जिया फारूखी से एक रात पहले ही लंबी टेलीफोनिक चर्चा हुई थी। रिटायर्ड डीजीपी एमडब्ल्यू अंसारी ने जिया फारूखी के इंतकाल की खबर से लोगों को सोशल मीडिया के मार्फत अवगत कराया। दोपहर उनके कोह ए फिजा स्थित निवास से जिया फारूखी का आखिरी सफर शुरू हुआ। उनकी नमाज ए जनाजा सैफिया रोड शेड पर अदा की गई, जिसके बाद उन्हें बड़ा बाग कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया गया। डॉ अंजुम बाराबंकवी, इकबाल मसूद, सैयद इफ्तिखार अली समेत शहर के साहित्यिक और मुशायरा मंच से ताल्लुक रखने वाले बड़ी तादाद में उन्हें खिराज ए अकीदत पेश करने पहुंचे थे। जिया फारूखी साहित्य संसार का चर्चित, जाना पहचाना और मकबूल नाम रहा है। उनकी मुंशी हुसैन खां टेक्निकल इंस्टीट्यूट की सेवाएं भी याद रखी जाएंगी।

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