लोक अदालतों ने मुकदमेबाजी का बोझ कम किया: हिदायत उल्ला खान
- त्वरित और सुलभ न्याय दिलाने में लोक अदालतों की भूमिका अहम: न्यायाधीश
- 125 प्रकरणों का निपटारा, 82 प्रीलिटिगेशन प्रकरणों में 64 लाख 72 हजार की वसूली
- चेक बाउंस के मामलों में एक करोड़ 16 लाख 44 हजार की राशि का अवार्ड पारित
✍️सप्तग्रह रिपोर्टर
देपालपुर में आयोजित नेशनल लोक अदालत ने मुकदमेबाजी के बढ़ते बोझ को कम करने में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। इस आयोजन में 125 प्रकरणों का निपटारा किया गया और न्यायिक प्रक्रिया को त्वरित और सुलभ बनाने की दिशा में प्रयास किए गए। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली, मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर और प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण इंदौर, अजय श्रीवास्तव के निर्देशन और देपालपुर तहसील विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष एवं अपर जिला न्यायाधीश हिदायत उल्ला खान के मार्गदर्शन में सफलतापूर्वक किया गया ।
मुख्य बिंदु:
कार्यक्रम की शुरुआत:
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के छायाचित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्ज्वलित कर की गई। यह आयोजन क्षेत्रीय न्यायिक प्रक्रिया में नवचेतना का प्रतीक था।
लोक अदालतों का महत्व:
हिदायत उल्ला खान ने अपने संबोधन में लोक अदालतों की महत्ता पर जोर दिया। उनका कहना था कि लोक अदालतें मुकदमेबाजी के बढ़ते मामलों को कम करने और पक्षकारों को त्वरित न्याय दिलाने में प्रभावी हैं। उन्होंने उपस्थित पक्षकारों से अपील की कि वे इस अवसर का भरपूर लाभ उठाएं, ताकि उनके विवादों का समाधान सुलभ तरीके से हो सके।
प्रकरणों का समाधान:
इस नेशनल लोक अदालत में कुल 125 प्रकरणों का निपटारा किया गया। इनमें से कई दीवानी, अपराधिक और पारिवारिक विवादों को सुलझाया गया।
प्रमुख प्रकरणों में शामिल हैं:
- पारिवारिक विवादों का समाधान: विवाह संबंधी मामलों और संपत्ति विवादों को सौहार्दपूर्ण तरीके से हल किया गया।
- मोटर दुर्घटना क्लेम और चेक बाउंस मामलों का समाधान किया गया।
- बैंकों के ऋण वसूली और नगर परिषद के संपत्ति कर व जल कर मामलों का समाधान किया गया।
- कुल 82 प्रीलिटिगेशन प्रकरणों में 64 लाख 72 हजार 188 रुपये की वसूली की गई।
- इसके अलावा, न्यायालय में लंबित चेक बाउंस के मामलों में एक करोड़ 16 लाख 44 हजार 89 रुपये की राशि का अवार्ड पारित किया गया।
पारिवारिक विवादों का सौहार्दपूर्ण समाधान:
ग्राम कालीबिल्लौद के एक पति-पत्नी ने आपसी सहमति से अपने मतभेदों को सुलझाया और एक-दूसरे को हार पहनाकर जीवनभर साथ रहने का वादा किया। यह एक उदाहरण था कि लोक अदालतें न केवल कानूनी मामलों का समाधान करती हैं, बल्कि पारिवारिक रिश्तों को भी सुधरने में मदद करती हैं।कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति:
कार्यक्रम में न्यायिक मजिस्ट्रेट सय्यद दानिश अली, रिजवाना कौसर, दिव्या श्रीवास्तव, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष सी.एल. पटेल, सचिव पवन जोशी, वरिष्ठ अभिभाषक राजेन्द्र पटेल, मोहनदास बैरागी, प्रकाश धाकड़, चेतन हार्डिया, प्रदीप पाटीदार, दिनेश डोड, संदीप ठाकुर, रजनी पंवार, विजय पटेल और सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी एस.एस. मावई सहित अन्य कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
आभार प्रदर्शन:
कार्यक्रम के समापन पर नायाब नाजीर दिलीप यादव ने सभी का आभार व्यक्त किया और इस आयोजन की सफलता के लिए धन्यवाद दिया।
लोक अदालतें एक सशक्त मंच
नेशनल लोक अदालत ने यह साबित किया कि लोक अदालतें एक सशक्त मंच हैं, जो मुकदमेबाजी के बोझ को कम करने, पक्षकारों को त्वरित और सुलभ न्याय प्रदान करने, और समाज में शांति और सौहार्द कायम करने में अहम भूमिका निभा रही हैं। इस आयोजन ने देपालपुर के नागरिकों को न्याय प्राप्त करने का बेहतरीन अवसर प्रदान किया और भविष्य में ऐसे आयोजनों की आवश्यकता को स्पष्ट किया। लोक अदालतों का यह मॉडल अन्य क्षेत्रों में भी अपनाया जा सकता है, ताकि न्यायिक प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके और लोगों को न्याय सुलभ हो सके।
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