द ट्रेड बुक बनाम फेसबुक: भारतीय स्टार्टअप के अधिकारों की रक्षा का मामला
- कॉन्सेप्ट और बिजनेस मॉडल चोरी के विवाद पर जिला अदालत में आज होगी सुनवाई
✍️नौशाद कुरैशी
भोपाल। भारतीय स्टार्टअप द ट्रेड बुक और वैश्विक टेक दिग्गज फेसबुक के बीच चल रहे कॉन्सेप्ट और बिजनेस मॉडल चोरी के विवाद पर आज भोपाल जिला अदालत में सुनवाई होगी। यह मामला भारत में स्टार्टअप के अधिकारों और ग्लोबल कंपनियों के दबाव के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कानूनी लड़ाई के रूप में उभर रहा है।
मामले की पृष्ठभूमि
भारतीय कंपनी द ट्रेड बुक के संस्थापक स्वप्निल राय ने आरोप लगाया है कि फेसबुक ने उनके प्रोजेक्ट का आइडिया और बिजनेस मॉडल चुराकर अपने प्लेटफॉर्म पर इस्तेमाल किया।
स्वप्निल राय ने 2015 में द ट्रेड बुक को वैश्विक स्तर पर लॉन्च करने की योजना के तहत फेसबुक के अमेरिका स्थित कार्यालय से संपर्क किया। उन्होंने भारत यात्रा के दौरान फेसबुक के शीर्ष अधिकारी इमे आर्चिबॉन्ग से इस प्रोजेक्ट पर विस्तृत चर्चा भी की। फेसबुक ने प्रोजेक्ट में रुचि दिखाते हुए ईमेल के माध्यम से इसके फीचर्स की जानकारी मांगी थी।
बाद में, द ट्रेड बुक का विवरण इंडियन पेटेंट एंड ट्रेड मार्क जर्नल में प्रकाशित हुआ। इसके तुरंत बाद फेसबुक ने भारतीय कंपनी को प्रोजेक्ट बंद करने के लिए नोटिस भेजा और उनके खिलाफ तीन कानूनी मामले भारतीय पेटेंट एंड ट्रेड मार्क ऑफिस में दायर किए।
आरोपों की मुख्य बातें
1. प्रोजेक्ट की नकल और दबाव
भारतीय कंपनी का आरोप है कि फेसबुक ने उनके प्रोजेक्ट को रोकने की कोशिश के साथ-साथ इसके फीचर्स को अपने प्लेटफॉर्म में शामिल कर लिया।
2. कानूनी दबाव और प्रोजेक्ट बंद करना
द ट्रेड बुक के अनुसार, फेसबुक ने न केवल उनके प्रोजेक्ट को अपने पोर्टल पर प्रदर्शित किया बल्कि इसके लिए भुगतान भी लिया। बाद में, बिना किसी पूर्व सूचना के प्रोजेक्ट को बंद कर दिया गया।
3. छात्रों पर कानूनी दबाव
द ट्रेड बुक ने यह भी दावा किया कि फेसबुक ने प्रोजेक्ट से जुड़े छात्र आर्यन राय के क्लास बुक और अन्य फीचर्स को लेकर कानूनी मामले दर्ज किए।
पिछली सुनवाई की स्थिति
पिछली सुनवाई में, नोटिस तामील होने के बावजूद फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग, अधिकारी इमे आर्चिबॉन्ग, और अन्य प्रतिनिधि अदालत में पेश नहीं हुए। इसके चलते अदालत ने उन्हें एक्स पार्टी घोषित कर दिया।
सुनवाई के प्रमुख बिंदु
आज की सुनवाई में फेसबुक इंडिया ने यह मामला "सुनवाई योग्य न होने" की याचिका दाखिल की है। इस पर दोनों पक्षों के वकीलों के बीच बहस होगी। यह बहस तय करेगी कि मामले को अदालत में आगे चलाने का आधार कितना मजबूत है।
मामले का व्यापक प्रभाव
यह विवाद न केवल एक स्टार्टअप के अधिकारों की रक्षा का मामला है, बल्कि यह भारतीय न्यायपालिका के समक्ष एक महत्वपूर्ण प्रश्न भी रखता है। क्या न्यायपालिका छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के हितों की रक्षा कर सकती है, जब उन्हें वैश्विक कंपनियों के दबाव का सामना करना पड़ता है?
इस मामले का फैसला भारतीय स्टार्टअप समुदाय के लिए एक मिसाल बन सकता है। यदि अदालत भारतीय कंपनी के दावे को मान्यता देती है, तो यह छोटे व्यवसायों के लिए एक मजबूत संदेश होगा कि उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी लड़ाई संभव है।
आज की सुनवाई के परिणाम पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, जो यह तय करेगी कि यह मामला किस दिशा में आगे बढ़ेगा।
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