सीएम डॉ. यादव का राष्ट्रप्रेम और वन्दे मातरम की ताकत..!

पीसी में सीएम डॉ.मोहन यादव व मंत्री तुलसी सिलावट 


@सियासत के रंग: ✍️नौशाद कुरैशी 

ध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का राष्ट्रप्रेम किसी रहस्य की बात नहीं है। महाकाल की नगरी उज्जैन में जन्मे डॉ. यादव भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रतीक हैं। वे किसी भी राष्ट्रीय प्रतीक या परंपरा के लिए अपना सब कुछ छोड़ सकते हैं—यहां तक कि पत्रकारों के कठिन सवालों का जवाब देने वाला सुनहरा मौका भी!

विधानसभा सत्र के पहले दिन जब डॉ. यादव अपनी गहरी राजनीतिक रणनीतियों और जनकल्याणकारी एजेंडों को लेकर पत्रकारों से संवाद कर रहे थे, तभी सदन के अंदर से “वंदे मातरम” की ध्वनि आई। जैसे ही यह आवाज उनके कानों में पड़ी, मुख्यमंत्री ने तुरंत अपनी प्रेस वार्ता को विराम दे दिया। उनकी यह तत्परता देख ऐसा लगा मानो राष्ट्रगीत सुनते ही वे 'सावधान' मुद्रा में सीधे वंदे मातरम के सिपाही बन गए।

कांफ्रेंस से कनेक्शन टूटा, लेकिन 'राष्ट्रप्रेम' जुड़ा

मुख्यमंत्री बड़े उत्साह से कह रहे थे, “हमें खुशी है कि हमारी सरकार ने जनहितैषी कार्यों का एक साल पूरा कर लिया है और…”। लेकिन उनका यह “और…” राष्ट्रगीत की धुन में खो गया। अचानक वे ठिठक गए और खामोशी से सावधान की मुद्रा में खड़े हो गए। उनके इस दृढ़ राष्ट्रप्रेम को देख बगल में खड़े मंत्री तुलसीराम सिलावट ने भी तुरंत अपनी मुद्रा बदल ली और सावधान होकर डॉ. यादव का साथ दिया।

डॉ. यादव ने राष्ट्रगीत पूरा होने के बाद पत्रकारों से संवाद का अंत किए बिना ही सीधे विधानसभा सत्र की ओर रुख किया। मानो कह रहे हों, “जनता के सवाल बाद में, पहले राष्ट्र का सम्मान!”

'वंदे मातरम' के लिए भावनाओं का सैलाब

सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो ने मुख्यमंत्री के व्यक्तित्व का एक अनोखा पहलू उजागर किया है। एक तरफ विपक्षी नेता जहां सरकार की आलोचना और सवालों की बौछार के लिए तैयार थे, वहीं मुख्यमंत्री ने “पहले देश, फिर बहस” का उदाहरण प्रस्तुत कर दिया।

कांग्रेस का हंगामा और डॉ. यादव का मौन

जहां एक ओर विपक्ष कांग्रेस ने सत्र के पहले दिन ही ट्रैक्टर रैली और खाद संकट जैसे मुद्दों पर हंगामा खड़ा कर दिया, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री डॉ. यादव का वीडियो इस हंगामे के बीच 'सावधान मुद्रा' में शांति और राष्ट्रभक्ति की मिसाल बन गया।

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री के इस वीडियो पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई है। किसी ने कहा, “यादव जी ने वंदे मातरम का सम्मान करके सच्चा राष्ट्रप्रेम दिखाया है”, तो किसी ने व्यंग्य करते हुए जोड़ा, “राष्ट्रगीत सुनकर प्रेस कांफ्रेंस से बचने का यह आइडिया गजब है!”

राष्ट्रप्रेम बनाम विपक्ष के सवाल

विपक्षी नेताओं ने भी इस घटना पर चुटकी ली। एक कांग्रेस नेता ने कहा, “वंदे मातरम का सम्मान करना जरूरी है, लेकिन सवालों से बचना भी एक कला है। मुख्यमंत्री जी ने दोनों काम एक साथ कर दिखाए।”

'महाकाल की नगरी से उठे राष्ट्रप्रेम के स्वर'

डॉ. मोहन यादव का यह कदम निश्चित रूप से उनकी राष्ट्रभक्ति को प्रदर्शित करता है। लेकिन साथ ही, यह घटना बताती है कि प्रेस कांफ्रेंस के दौरान 'सावधान मुद्रा' में खड़े होकर भी राजनीति की चतुराई कैसे दिखाई जा सकती है। अब विपक्ष और जनता यह सोचने पर मजबूर हैं कि मुख्यमंत्री ने वाकई राष्ट्रगीत के प्रति अपनी आस्था दिखाई या सवालों से बचने का एक नया तरीका खोज निकाला।

इस पूरे घटनाक्रम पर जनता की यही प्रतिक्रिया है: “सवालों से बचने का तरीका हो या राष्ट्रप्रेम, वंदे मातरम की आवाज में सचमुच एक ताकत है!”



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